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ब्रिटिश भारत: समय, कारण और असर

जब अंग्रेज़ भारत में आए, तो सबसे पहले व्यापार का वादा था। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1600 के दशक में समुद्री रास्ते खोल कर सामान बेचने लगा, पर धीरे‑धीरे उसका दायरा बढ़ा और सत्ता में हाथ आज़माने लगा। इस समय में भारत के कई राजा और महाजन अपने खुद के युद्ध में लगे रहे, जिससे अंग्रेज़ों को मुनाफ़ा बनाने का मौका मिला।

ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटीश राज तक

1757 की प्लासी की लड़ाई ने सबको हिला दिया। कंपनी ने बंगाल के राजकोष को काबू किया और उसके बाद कई प्रदेशों में अपना नियंत्रण स्थापित किया। 1857 की पहली बड़ी बगावत, जिसे आज गुलामी विरोधी आंदोलन के रूप में याद किया जाता है, ने दिखा दिया कि भारत में आज़ादी की तरंगें चल रही हैं। इस बगावत के बाद ब्रिटिश सरकार ने सीधे भारत का शासन संभाल लिया और 1858 में भारत को सीधे Crown के अधीन कर दिया।

सामाजिक‑आर्थिक बदलाव और विरोध

ब्रिटिश राज में नई रेल, टेलिग्राफ़ और स्कूलों ने भारत को आधुनिकता की ओर धकेला, लेकिन इसके साथ ही बड़ी करव्यवस्था और कृषि का नुकसान भी हुआ। कई किसान भारी कर और सूखा के कारण जलते हुए हुए, जिससे कई बार उनका विरोध हुआ। उसी समय, राजा राम मोहन राय और रब्बी रवि सत्यानंद जैसे सामाजिक सुधारकों ने शिक्षा, महिलाओं की स्थिति और धर्म सुधार पर काम किया।

समय बीतता गया, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1885 में बनी। शुरुआती दिनों में यह एक सम्मानजनक मंच था, पर धीरे‑धीरे इसे स्वराज (स्वतंत्रता) की माँगों के लिए उपयोग किया गया। लोहा, कपड़े और खनिजों की बिखरी हुई नीतियों ने भारतीय उद्यमियों को हतोत्साहित किया, पर वही टेंशन भी राष्ट्रीय भावनाओं को ज्वलंत कर दिया।

महात्मा गांधी का उपस्थिति इस दौर को नई दिशा दी। उनका सत्याग्रह, असहयोग और जलिया आंदोलन ने लोगों को सशक्त बनाया। घरघर में स्वदेशी वस्तुओं की नब्ज़ पनपी, और बहुत सारे इनका समर्थन से भारत के नकद पदचिह्न पर असर पड़ा। उनका तरीका शांतिपूर्ण था, पर इसे रोकना बहुत मुश्किल था।

1947 में जब आज़ादी मिली, तो British India की रचना दो देशों—भारत और पाकिस्तान—में बँट गई। इस विभाजन ने लाखों लोगों को विस्थापित किया, और कई दर्दनाक कहानियों को जन्म दिया। फिर भी, इसका असर आज के शिक्षा, न्याय और प्रशासनिक सिस्टम में देखा जा सकता है।

आज भी British India की रेखा हमारे गली-गली में महसूस होती है—पुरानी इमारतें, रूट‑सेप्शन डीएसडी के नाम और अंग्रेज़ी का प्रभाव। लेकिन साथ ही यह भी दिखाता है कि कैसे कठिनाइयों के बीच भारतीयों ने अपना रास्ता चुना और विश्व में एक नई पहचान बनाई।

यदि आप British India के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो इतिहास के दस्तावेज़, पुरानी तस्वीरें और लोककथाएँ पढ़ना फायदेमंद रहेगा। ये सब मिलकर उस दौर की सच्ची तस्वीर पेश करते हैं—जैसे एक पज़ल की टुकड़ी, जो हमें उस समय की जटिलता समझने में मदद करती है।

ब्रिटिश भारत में जीवन कैसा था?
ब्रिटिश भारत में जीवन कैसा था?
  • द्वारा नवीन श्रेष्ठ
  • पर 12 मई 2023

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